नई दिल्ली। सोमवार को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा होनी है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी नोबेल पुरस्कार पाने वाले संभावितों की लिस्ट में शामिल हैं। क्लैरिवेट ऐनालिटिक्स ने नोबेल पुरस्कार के संभावित विजेताओं की एक लिस्ट तैयार की है। रघुराम राजन को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है।
क्लैरिवेट ऐनालिटिक्स अकैडमिक और साइंटिफिक रिसर्च की कंपनी है। वह अपने रिसर्च के आधार पर नोबेल पुरस्कार के संभावित विजेताओं की लिस्ट भी तैयार करती है। वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक राजन उन 6 अर्थशास्त्रियों में से एक हैं जिन्हें क्लैरिवेट ऐनालिटिक्स ने इस साल अपनी लिस्ट में शामिल किया है। कॉर्पोरेट फाइनैंस के क्षेत्र में किए गए काम के लिए राजन का नाम लिस्ट में आया है।
रघुराम राजन इंटरनैशनल इकॉनमी की दुनिया के बड़े नाम हैं। सबसे कम उम्र (40) और पहले गैर पश्चिमी आईएमएफ चीफ बनने वाले राजन ने 2005 में एक पेपर प्रेजेंटेशन के बाद बड़ी प्रसिद्धि हासिल की। राजन ने अमेरिका में अर्थशास्त्री और बैंकरों की प्रतिष्ठित वार्षिक सभा में इस पेपर को प्रेजेंट किया था। तब राजन ने आर्थिक मंदी का अनुमान जताया था जिसका उस समय मजाक उड़ाया गया।
3 साल बाद रघुराम राजन की भविष्यवाणी सही साबित हो गई और अमेरिका समेत विश्व की अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी की चपेट में आ गई। यह कॉन्फ्रेंस वायोमिंग के जैक्सन होल में अमेरिकी फेडरल प्रमुख एलन ग्रीनस्पैन को सम्मान देने के लिए हुई थी। राजन ने इसमें, क्या वित्तीय विकास ने विश्व को खतरनाक बना दिया है शीर्षक से पेपर प्रस्तुत किया। इस पेपर की ज्यादा तारीफ नहीं हुई। पूर्व ट्रेजरी सेक्रटरी ने तो राजन का मजाक उड़ाते हुए यहां तक कह दिया था कि वह नई खोजों का विरोध कर रहे हैं।पर राजन सही निकले|
रघुराम राजन ने अपने पेपर में यह तर्क दिया था कि फाइनैंशल मार्केट विकसित होकर अधिक जटिल और कम सुरक्षित हो गए हैं। उन्होंने कहा था कि डेरिवेटिव्स जैसे क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स रिस्की हैं। तीन साल बादल 2008 में क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था गिर गई।
हालांकि राजन का नाम इस लिस्ट में आ जाने से यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह संभावित विजेताओं की अग्रिम पंक्ति में हैं। फिर भी एक बात तो तय है कि राजन के पास भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने का मौका है।
नोटबंदी की आलोचना कर चुके हैं राजन
रघुराम राजन को आरबीआई के गवर्नर के रूप में दूसरा टर्म मिलने की उम्मीद थी। हालांकि राजन अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद बतौर फैकल्टी शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनस में वापस चले गए थे। राजन ने बाद में खुलासा किया था कि कई मुद्दों पर उनकी और केंद्र सरकार की राय में फर्क था। इसमें एक नोटबंदी का फैसला भी था, जिसकी उन्होंने कड़ी आलोचना की थी